मकर संक्रांति पर हल्दी- कुंकुम लगाकर महिलाओं ने की सुख- सौभाग्य की कामना

 भवानी नगर‌ में संक्रांति पर बना रहा पूजा- पाठ व दान- पूण्य का माहौल

 

राजनांदगांव / शहर में मकर संक्रान्ति पर्व की धार्मिक एवं अनुष्ठानिक छटा बिखरी रही। लोगों ने संक्रांति पर्व अवसर पर नदी- सरोवरों में स्नान ध्यान किए और मंदिरों में पूजा – पाठ कर दान- पूण्य के कार्य किए। मकर संक्रांति पर्व पर शहर के मंदिरो में भक्तों का तांता रहा। सुनार पारा स्थित माता देवाला,शीतला मंदिर गायत्री शक्तिपीठ, पाताल भैरवी आदि मंदिरो में लोगों ने अपने घर-‌परिवार वालों के साथ पहुंच कर देवी मां के दर्शन किए और तिल लड्डू गजक तिल पपड़ी का प्रसाद चढ़ाकर अपने घर परिवार की खुशहाली की दुआएं मांगी।

*हल्दी -कुंकुम लगाकर सुख- सौभाग्य की कामना*

शहर के बसंतपुर स्थित भवानी नगर में मकर संक्रान्ति अवसर पर समाजसेवी महिलाओं द्वारा हल्दी -कुंकुम का आयोजन का आयोजन किया गया। इस दौरान वरिष्ठ समाजसेवी महिलाओं द्वारा सुहागिन महिलाओं को हल्दी -कुंकुम का तिलक कर उनके सुख – सौभाग्य की कामना की। इस दौरान महिलाओं द्वारा ढोलक की थाप पर भजन – कीर्तन का गान किया गया। आराधना मंच एवं लीनेश क्लब द्वारा आयोजित महिलाओं के इस हल्दी -कुंकुम आयोजन में विशेष रूप से मौजूद श्रीमती रत्ना ओस्तवाल ने बताया कि भगवान सूर्य का अपनी राशि परिवर्तन कर मकर राशि में जाने को काफी शुभ माना गया है। सनातन धर्मियों के लिए ऋतु परिवर्तन के अलावा शुभ और मंगल प्रद समय है। सूर्य देवता का अपने पुत्र शनि से भी इस दिन मिलाप होता है जो सबको लिए शुभता को लेकर आता है । इसी वजह से इस दिन नदी-सरोवरों में स्नान ध्यान सहित दान- पूण्य और धार्मिक, अनुष्ठानिक आयोजन किए जाते हैं। समाजसेवी शारदा तिवारी ने बताया कि छ्त्तीसगढ़ लोक पर्व छेरछेरा पुन्नी से लेकर मकर संक्रांति पर्व पर दिन भर उनके निवास में आने वाले लोगों को लिए दान- पूण्य का कार्य निरंतर जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि अच्छे कार्यो के लिए दान मांगने से अहं भाव का नाश होता है। संक्रांति के दिन उनके निवास स्थान में उपस्थित सुहागिन महिलाओं को हल्दी -कुंकुम लगाकर उन्हें गिफ्ट भेंट दी गई और उनके दाम्पत्य जीवन सहित घर परिवार की सुखमयता की कामना की गई। इस दौरान वरिष्ठ समाजसेवी श्रीमती सरस्वती ‌माहेश्वरी, रत्ना ओस्तवाल,शारदा तिवारी आशा गुप्ता, साधना तिवारी,माया अग्रवाल,लीनेश एरिया आफिसर माला शुक्ला, अलका सुरजन, मिथलेश शर्मा कस्तूरबा की अलका जानी,शांति ओस्तवाल, संध्या जैन,मीना जैन, अंजली ओस्तवाल, अंजनी कोशा,सरोज कोटडि़या,सपना, सोनाली ,ममता, सुनीता सोनी आदि सहित बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित थीं।

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