5 सितंबर 2023 को लोक संगीत के पुरोधा स्वर्गीय श्री खुमान साव के जयंती के अवसर पर उनके जन्मस्थली ग्राम खुर्सीटिकुल डोंगरगांव में खुमान संगीत अकादमी के संस्थापक श्री गोविंद साव एवं पंचायत प्रतिनिधियों ग्राम वासियों के संयुक्त तत्वावधान में वैचारिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर छत्तीसगढ़ी साहित्य एवं व्यंगकार श्री कुबेर सिंह साहू तथा अध्यक्षता सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार एवं गीतकार श्री महेंद्र कुमार बघेल ” मधु ” विशिष्ट अतिथि के तौर पर रिटायर्ड प्राचार्य तथा अंचल के सुप्रसिद्ध कवि लखनलाल साहू लहर , लोक कलाकार व कवि रोशन लाल साहू मोखला ,श्री ओम प्रकाश साहू अंकुर, नंदकुमार साहू नादान सहित साकेत साहित्य परिषद के सचिव व कहानीकार कुलेश्वर दास साहू प्रमुख रूप से उपस्थित थे।इस अवसर पर ग्राम के तिलक तारम लखन तारम ठाकुर राम जीवनसाव केशव राम साहू रोहित तारम पारसमणी भंडारी लोकेश साहू गोपाल साहू कोमल महानदिया हरेराम साहू सुरेश तारम संतोष साहू तुकाराम साहू गजेंद्र साहू चेतन साहू गणेश राम साहू उमेंद्र साहू सुनील साहू राजेश्वरी साहू दीपक साहू शैलेंद्र साहू मुन्ना साहू हरि साहू शैलेंद्र साहू तिलोत्मा साहू अनसूईया साहू कुमार गौरव साहू हेमनाथ साहू गोविंद साहू तर निर्मलकर तुषार साहू की उपस्थिति में खुमान साहब पुनीत पावन स्मरण के अवसर पर वैचारिक संगोष्ठी जिसमें खुमान साव की सांगतिक यात्रा पर परिचर्चा ग्राम पंचायत भवन के सभागार में संपन्न हुआ । इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर खुमान साव की कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कुबेर सिंह साहू ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की सफलता में साथ रहे लोगों का भी बहुत सारा योगदान होता है उन्होंने उदाहरण देते हुए अपनी बातों को स्पष्ट किया कि आज फिल्मी दुनिया में राज कपूर को ग्रेट शोमेन कहा जाता है उनकी ख्याति में गीतकार शैलेंद्र एवं संगीतकार शंकर जय किशन का बहुत बड़ा योगदान है । ठीक इसी तरह खुमान साव जो की लोक कला के पुरोधा हैं उनके सफलता में उनके संगीत माधुर्य में गीतकार लक्ष्मण मस्तुरिया जैसे साहित्यकारों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महेन्द्र कुमार मधु जी ने कहा कि खुमान साव की कृतित्व में उनके व्यक्तित्व में अनुशासन का बहुत महत्व है अनुशासन जहां व्यक्ति को जीने की कला सिखाती है वहीं किसी भी क्षेत्र में ही सफलता का पैमाना निर्धारित हो जाता है । परिचर्चा में वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षक रोशन साहू ने कहा कि खुमान साव सरल हृदय के साथ-साथ साहित्यिक अभिरुचि में उनकी कोई सानी नहीं थी क्योंकि छत्तीसगढ़ के ज्यादातर लोक साहित्यकार लोकगीत कारों का गीत चंदैनी गोंदा में समाहित हुआ है अतः वे साहित्य के पारखी व्यक्ति होने के साथ साथ कई गीतों को कलमकार थे । लखनलाल साहू ” लहर “ने अपनी चर्चा को आगे बढ़ते हुए कहा कि वह एक सीधी रेखा खींच देते थे उसे रेखा का उल्लंघन किसी भी व्यक्ति के लिए संभव नहीं हो पाता था। आधार व्यक्तव्य हुए देते हुए कवि ओम प्रकाश साहू अंकुर ने उनके साथ बिताए हुए पलों को याद किया इस अवसर पर सेवानिवृत प्राचार्य
के आर साहू ने कहा कि वह लोक कला को जीवंत रखने के लिए सदैव आगे रहे । साव जी के साथ में 32 वर्षों तक लगातार सहायक संगीतकार की भूमिका निर्वहन करते हुए गोविंद साहू जी ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि गोविंद साव ने कहा कि खुमान साव के स्मरण पर पावन श्रद्धाजंलि तब होगा जब छत्तीसगढ़ के लोक संगीत को खुमान संगीत का नाम दिया जाना चाहिए। इस अवसर पर रिटायर्ड पर प्राचार्य साहू जी ने कहा कि वह किसी को अगर बात कह देते थे तो उसे बात से कदापि पीछे नहीं हटते थे । ग्रामीण जनों द्वारा ग्राम खुर्सीटिकुल में खुमान साव,पंचराम देवदास, महेश ठाकुर की प्रतिमा स्थापित कर पुण्यतिथि एवं जयंती दोनों अवसरों पर द्वारा सांगतिक प्रस्तुति करवाने पर चर्चा किया गया । इस अवसर पर खुमान संगीत अकादमी के नवोदित कलाकारों के द्वारा सांगीतिक प्रस्तुति भी दी गई जिन्हें लोगों का भरपूर आशीर्वाद मिला।