ग्रीष्म कालीन धान पर रोक स्वीकार्य नही : किसान संघ

जिला किसान संघ, राजनांदगांव (छ.ग)

राजनांदगाँव/ ग्रीष्मकालीन धान पर रोक को किसानों ने एक पक्षीय एवं भेदभाव पूर्ण करार देते हुए खारिज किया एवं कहा कि ये बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। रविवार को किसान संघ की बैठक कृषि उपज मंडी बसंतपुर राजनांदगांव में आयोजित की गई थी जिसके विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई।

२९ अक्टूबर मंगलवार को कलेक्टर एवं ६ नवंबर को मुख्यमंत्री तक पहुंचाएगें अपनी बात-

बैठक में तय किया गया कि मंगलवार को कलेक्टर से मिलकर ग्रीष्मकालीन धान पर अपना पक्ष रखेंगे। वही ग्रीष्मकालीन धान सहित, किसान न्याय योजना की बकाया चौथी किस्त, समर्थन मूल्य में १७७ रू. की वृद्धि का लाभ दिलाते हुए ३२१७/- रू. में धान खरीदी एवं धान खरीदी अवधि में १३ दिनों की कटौती नही करते हुए १३ फरवरी तक धान खरीदी करने की मांग मुख्यमंत्री तक पहुंचाने ६ नवंबर बुधवार को रायपुर कूच करेंगे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश किसान संघ द्वारा इन्ही मुद्दों पर हस्ताक्षर अभियान पूर्व से चलाया जा रहा है। अब इसमें ग्रीष्मकालीन धान का मुद्दा भी जुड़ गया है।

मुख्यमंत्री से मांगा गया था समय – ७ अक्टूबर को जिला प्रशासन के माध्यम से २५ अक्टूबर तक मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा गया था लेकिन कोई भी जवाब नही मिला। अब राजधानी पहुंचकर अपनी बात किसान पहुंचाएगें।

२९ अक्टूबर मंगलवार को जिला कार्यालय के सामने ज्यादा से ज्यादा संख्या में ११ बजे उपस्थित होने की अपील की गई है।

ग्रीष्मकालीन धान पर किसानों का पक्ष – जल संकट से निपटने ग्रीष्मकालीन धान पर रोक एक पक्षीय एवं भेदभाव पूर्ण है। जल संकट सिर्फ किसानों का मुद्दा नही, ये एक सार्व भौम मुद्दा है लेकिन सिर्फ किसानों को धान बोने से रोकना न्याय संगत नही है। उद्योगो में पानी खपत को लेकर सरकार की क्या नीतियाँ है ये भी स्पष्ट किया जाना चाहिए। सरकारी विकास परियोजनाएँ कितनी जल संरक्षण हितैसी है इनका भी मूल्यांकन एवं सुधार किया जाना चाहिए।

लाखों की संख्या में बन रहे प्रधानमंत्री आवास में वर्षा जल संवर्धन का काम क्यों नहीं किया जाता कलेक्ट्रेट सहित विभिन्न सरकारी इमारतों एवं नग निगम क्षेत्रों में बन रहे आवासीय एवं व्यावसायिक इमारतों में वर्षा जल संवर्धन का काम पहले शुरू करना चाहिए। गांव गांव में विकास के नाम पर कांक्रीटी करण के डिजाइन कितने जल संरक्षण हितैषी है। दस सालों से विरोध के बावजूद हसदेव के जंगल काटकर मिनी माता जलाशय का अस्तिव खतरे में डालकर किसानों से कहा जा रहा है धान मत लगाओं।

राजनांदगांव शहर के कुऐ नष्ट कर दिए गए। बुढ़ा सागर रानी सागर को पाटकर सडक़ बना डाला गया। अब किसान के पेट में लात मारेंगेें।

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