➡️ क्या इस बार भी निगम से संबंधित व्यक्ति ही बनेगा महापौर❓
*राजनांदगांव ।* आगामी नवंबर- दिसंबर में नगर पालिक निगम चुनाव संभावित है। जिसमें सभी 51 वार्ड के पार्षदों के साथ ही महापौर का चुनाव होना है। इससे पहले यहां के नगर निगम में जितने भी महापौर हुए। उन सब के साथ एक विचित्र संयोग यह बना कि महापौर बनने से पहले उनकी या उनके किसी न किसी परिजन की निगम की राजनीति या वहां के क्रियाकलाप में एंट्री पहले हुई है। अतीत को झांक कर देखें तो 1994-95 में राजनांदगांव नगर पालिका परिषद से नगर पालिका निगम, तब शरद वर्मा महापौर बने जो पूर्व में पार्षद थे। उनके बाद अजीत जैन महापौर बने। वह भी पहले उप महापौर थे। तत्पश्चात विजय पांडे महापौर बने तो उनके पिता रज्जू लाल पांडे नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष थे। उनके बाद सुदेश देशमुख एक वर्ष के लिए ही सही महापौर बने। वह भी इससे पहले पार्षद रहे। तत्पश्चात मधुसूदन यादव मनोनीत महापौर बने, जो पहले पार्षद रहे और वही बाद में सांसद भी बने। उनके बाद श्रीमती शोभा सोनी महापौर बनीं। वह भी पूर्व में पार्षद थी। उनके बाद नरेश डाकलिया महापौर चुने गए तो इससे पहले उनके भाई रमेश डाकलिया निगम के अध्यक्ष तथा एक अन्य भाई राजा डाकलिया पार्षद रहे। बाद में पूर्व सांसद मधुसूदन एक बार फिर महापौर बनाए गए, लेकिन दूसरी बार में वे निर्वाचित महापौर थे। वर्तमान महापौर श्रीमती हेमा देशमुख, जिनका पंचवर्षीय कार्यकाल खत्म होने की ओर है, वह भी पूर्व में पार्षद रही हैं तथा उनके पति सुदेश देशमुख महापौर रहे हैं।
*➡️ एक ही मोहल्ले से बन चुके हैं तीन महापौर*
शहर में महापौर पद को लेकर विचित्र संयोग यहीं पर खत्म नहीं होता। एक और विचित्र संयोग यह बना है कि अब तक हुए 9 महापौर में से तीन महापौर एक ही मोहल्ले सदर बाजार के निवासी रहे। उनमें अजीत जैन, स्व. श्रीमती शोभा सोनी और नरेश डाकलिया के नाम शामिल हैं। अबकी बार भी यह विचित्र संयोगबनेगा या नहीं यह समय के गर्भ में है। देखना है कि महापौर पद को लेकर आगे क्या गुल खिलता है? अभी तो छत्तीसगढ़ निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की तारीख ही घोषित नहीं हुई है। लोग इस पद को लेकर किस तरह का आरक्षण किया जाता है यह पहले देखना चाह रहे हैं।