प्रेमचंद की नारी पात्र धनिया में छत्तीसगढ़ की नारी प्रतिबिम्बित होती है- कोशा
प्रेमचंद की रचनाओं में गांधी जी का प्रभाव देखने को मिलता है -कुबेर साहू
राजनांदगांव/ साकेत सहित परिषद सुरगी, राजनांदगांव के बैनर तले निषाद (केवट) भवन हरदी वार्ड नं. ५१ में कोषाध्यक्ष सचिन निषाद के संयोजन में मासिक बैठक ,श्रावणी काव्य गोष्ठी एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा के अंतर्गत कलम के सिपाही प्रेमचंद की रचनाओं पर चर्चा की गई। मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के जिलाध्यक्ष आत्माराम कोशा अमात्य थे एवं अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार कुबेर सिंह साहू ने की। विशेष अतिथि के रूप में अखिलेश्वर प्रसाद मिश्रा अध्यक्ष ,शिवनाथ साहित्य धारा डोंगरगांव और विशेष वक्ता के रूप में मान सिंह ठाकुर बसंतपुर, वरिष्ठ साहित्यकार महेंद्र कुमार बघेल मधु, उपाध्यक्ष संतू राम गंजीर, उपाध्यक्ष पवन यादव पहुना ने अपने विचार व्यक्त किए ।आधार वक्तव्य परिषद के अध्यक्ष ओम प्रकाश साहू अंकुर ने दिया।
मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के जिला अध्यक्ष व छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के जिला समन्वयक , वरिष्ठ कवि/ साहित्यकार आत्माराम कोशा अमात्य ने कहा कि कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की बहु चर्चित उपन्यास गोदान की नारी पात्र धनिया मे छत्तीसगढ़ी नारी प्रतिबिम्बित होती है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी नारी में धनिया जैसे जुझारूपन व दया- मया- प्रेम व संवेदनशीलता कूट-कूट कर भरी होती है। मूर्धन्य साहित्यकार पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी की कृति छत्तीसगढ़ की आत्मा नामक लेख का हवाला देते हुए श्री कोशा ने कहा कि बख्शी जी ने छत्तीसगढ़ की आत्मा में जिस नारी पात्र का उल्लेख किया है ,उस पर चंदैनी गोंदा के सर्जक रामचंद्र देशमुख ने युगांतरकारी नाटक कारी का मंचन किया था । उस नारी पात्र कारी में धनिया जैसे जुझारूपन व संवेदनशीलता स्पष्ट रुप से दृष्टि गोचर होती है।
अध्यक्षता कर रहे कुबेर सिंह साहू ने कहा कि प्रेमचंद की रचनाओं में गांधी जी का प्रभाव देखने को मिलता है ।उनकी रचनाओं में गांधी जी के सत्याग्रह का पूरी तरह प्रभाव है। रंगभूमि के प्रमुख पात्र सूरदास गांधी जी की छवि को ही देखकर गढ़ा गया है। इसी प्रकार गबन में भी गांधी जी के विचारों को उकेरा गया है ।आगे कुबेर साहू ने कहा कि प्रेमचंद की प्रारंभिक रचनाओं में नैतिकता के दर्शन होते हैं 1936 के आते-आते प्रेमचंद जी के विचार प्रगतिशील हो गए थे । जीवन के अंतिम वर्षों में उनकी रचनाओं में यथार्थ का चित्रण देखने को मिलता है ।प्रेमचंद ने सर्वहारा वर्ग के तत्कालीन दशा का यथार्थ चित्रण किया है । मानसिंह ठाकुर ने प्रेमचंद की कहानी मैकू का उल्लेख किया। ठाकुर ने कहा कि प्रेमचंद ने शोषित वर्ग की पीड़ा को सामने लाने का एक भागीरथ प्रयास किया है।परिषद के उपाध्यक्ष पवन यादव पहुना ने महान साहित्यकार प्रेमचंद का जीवन परिचय देते हुए कहा कि उनका जीवन बचपन से ही संघर्षमय रहा। ओमप्रकाश साहू अंकुर ने प्रेमचंद की कहानी पूस की रात का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद ने इस कहानी में एक भारतीय किसान की दशा का का मार्मिक चित्रण किया है।अखिलेश्वर प्रसाद मिश्रा ने कहा कि प्रेमचंद जीते जी एक किंवदंती बन गए थे। उन्होंने हिंदी साहित्य में कहानी की धारा ही मोड़ दी। महेन्द्र कुमार बघेल मधु ने कहा कि प्रेमचंद की रचनाओं में एक आम नागरिक की पीड़ा उभर कर सामने आती है। परिषद के उपाध्यक्ष संतू राम गंजीर ने कहा कि प्रेमचंद एक कालजयी रचनाकार थे। उन्होंने अलगू चौधरी और जुम्मन शेख जैसे पात्र के माध्यम से हिंदू- मुस्लिम एकता को प्रदर्शित किया है।
द्वितीय सत्र में सावन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें वीरेन्द्र कुमार तिवारी वीरू, राजकुमार चौधरी रौना, सचिन निषाद, आनंद राम सार्वा, नंद किशोर साव नीरव, कुलेश्वर दास साहू,रोशन लाल साहू, बलराम सिन्हा रब, पुरुषोत्तम मानिकपुरी ने विभिन्न रसों से ओतप्रोत रचनाएं पढ़ी। इस मासिक बैठक में साकेत साहित्य परिषद का रजत जयंती मनाने , स्मारिका प्रकाशन करने, मासिक गोष्ठी की निरंतरता को बनाए रखने संबंधी महत्वपूर्ण चर्चा की गई। कार्यक्रम में प्रसिद्ध तीरंदाजी कोच हीरू राम साहू का सम्मान किया गया। कार्यक्रम के अंत में सुप्रसिद्ध लोक कलाकार, अभिनेता, हास्य के पर्याय शिव कुमार दीपक के निधन को कला जगत के लिए एक अपूर्णीय क्षति बताते हुए दो मिनट मौन धारण कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम का संचालन लखन लाल साहू लहर, पवन यादव पहुना और आभार व्यक्त संयोजक सचिन निषाद ने किया।