राजनांदगांव। नगर निगम द्वारा आम नागरिकों से वसूल किए जाने वाले संपत्ति कर, जल कर एवम समेकित कर की वसूली की जिम्मेदारी ठेके पर रांची की श्री पब्लिकेशन कंपनी को दिए जाने संबंधी जानकारी निगम द्वारा प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कर दाताओं को दिए जाने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय पेंशनर्स संघ के प्रांताध्यक्ष डॉ डी सी जैन ने कहा है कि निगम द्वारा ठेका देने के पूर्व आम सूचना जारी कर आम जनता से आपत्ति/सुझाव आमंत्रित करना चाहिए था। आम जनता को यह जानने का अधिकार है कि निगम द्वारा ठेकेदार को करों की वसूली का ठेका देने संबंधी प्रस्ताव कब पास किया गया, कब ठेका की सूचना जारी की गई, किन शर्तों पर ठेका देने का प्रस्ताव निगम द्वारा पारित किया गया। परंतु निगम द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना करों की वसूली का ठेका छत्तीसगढ़ से बाहर रांची की कंपनी को सौंपकर आम जनता के साथ अन्याय किया गया। श्री जैन ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के किसी नगरीय निकाय द्वारा करों की वसूली का ठेका नही दिया जाता है। शासन द्वारा बिजली बिल का चार्ज आधा कर दिया गया है तथा गैस सिलेंडर उपभोकता को कम दर में दिया जा रहा है। अब निगम द्वारा संपत्ति कर को बढ़ाने का निर्णय कहा तक उचित है? नगर की करों की वसूली का ठेका देने के पीछे नगर निगम की क्या योजना है इसे जानने का अधिकार कर दाताओं को है। करों की वसूली का ठेका देने के बाद कर विभाग के कर्मचारियों का भविष्य क्या होगा। श्री जैन ने कहा है कि यह सही है कि नगर निगम में पर्याप्त संख्या में कर्मचारी होने के बावजूद ठेका की पद्धति अपनाया जाना सर्वथा अनुचित है। निगम को अपनी जर्जर आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए ठोस उपायों पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा है कि करों की वसूली ठेके पर देने से ठेकेदार संपत्ति का मूल्यांकन मनमाने ढंग से करेंगे जो वर्तमान मूल्यांकन से कई गुना अधिक होगा तथा उसके अनुसार निर्धारित कर भी कई गुना अधिक होगा। इसका अभी आम जनता को एहसास नहीं है परंतु सर्वे एवम कर निर्धारण के बाद इसका अभिशाप आम जनता जिसमे मध्यम एवम निम्न वर्गी कर दाता एवम शासकीय, अर्ध शासकीय पेंशनर तथा श्रम जीवियों को भुगतना होगा तथा उनका शोषण होगा। अतः प्रांताध्यक्ष छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय पेंशनर्स संघ द्वारा नगर निगम से अपेक्षा की गई है कि करों की वसूली संबंधित ठेका तत्काल निरस्त करदे तथा वर्तमान पद्धति के अनुसार ही किया जाए। निगम के भारी भरकम कर्मचारियों को ऊर्जावान बनाकर निगम द्वारा आरोपित सभी करों की वसूली, ईमानदारी एवम जागरूकता पूर्वक करते हुए अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने हेतु ठोस प्रयास किया जाना चाहिए।