राजनांदगांव जिले के छुरिया ब्लाक में ग्राम पंचायत गेंदाटोला में दरअसल पुलिस को एक लंबे अर्से से सट्टे के मामले में कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है। कभी-कभार फुटपाथ पर बैठकर पट्टी लिखने वालों को पकड़कर मुचलके पर छोड़ दिया जाता है, जबकि सट्टे का कारोबार सिर्फ फुटपाथ तक ही सीमित नहीं है। बड़े-बड़े रसूखदारों का इसमें बड़ी भूमिका है। सटोरियों पर कार्रवाई न हो पाने के पीछे पुलिस की कमजोर कड़ी कुछ पुलिसकर्मी ही बताए जाते है। मैदानी अमले से जुड़े पुलिस कर्मचारियों की सटोरियों से अच्छी खासी मिलीभगत है। उन्हीं के माध्यम से सटोरिए धंधा चलाने के एवज में थाने को मालामाल कर रहे हैं। दिहाड़ी मजदूरी वाला भी सट्टे में लगाता है पैसे सालाना आपराधिक रिकार्ड की यदि बात की जाए तो सट्टे के मामले में गिने-चुने ही केस दर्ज किए गए हैं, अधिकांश केस थाने के बाहर ही निपटा दिए जाते है। सट्टे के इस अवैध कारोबार ने मध्यम वर्ग के युवाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, जो कुछ पैसों से अधिक पैसे बनाने के लालच में आकर रोजाना अपनी थोड़ी बहुत जमा पूंजी भी सट्टे पर उड़ेल रहे हैं। यहां तक की दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार का पेट पालने वाला मजदूर भी रोज की कमाई का कुछ हिस्सा सट्टे में लगाकर अपने व परिवार के लिए मुसीबत खड़ी कर रहा है।?