नवरात्रि पर्व में ग्राम भाठागांव में रहेगी शक्ति आराधना की धूम
० श्रीमद भागवत कथा के भव्य आयोजन की योजना
राजनांदगांव। शहर के लगभग 10 कि.मी. दूर गठुला-भेड़ीकला ग्राम समीप स्थित स्वयं भू-लिगेश्वर धाम भाठागांव में नवरात्रि पर्व पर श्रद्धालुओं द्वारा मनोकामना ज्योतिकलश स्थापना किए जाने की भव्य तैयारियां की जा रही है। इसके लिए मंदिर समिति के लोगो सहित पूजारी विजेन्द्र साहू जी व्यवस्था बनाने में जुटे हुए है। मंदिर समिति के नरोत्तम साहू ने बताया कि भीषण गर्मी के दिनों में धरती फोड़ उत्पन्न हुए इस स्वयं-भू शिव लिंगेश्वर महराज के धाम में दो वर्ष पूर्व मां दुर्गा, अंबे-जगदम्बिके की स्थापना की गई है। इसी के साथ ही विघ्नहर्ता गणेश जी का भी विद्यमान कराया गया है। मांतारानी की स्थापना के साथ ही यहां दोनों नवरात्रि में श्रद्धालुओं द्वारा माई के चरणों में श्रद्धा के फूल अर्पित करने ज्योति-जंवारा की स्थापना की जाती है मातारानी की शान में मनोकामना ज्योति प्रज्जवलित किया जाता है। इससे मां भवानी भक्तों का कष्ट हरती व उनके घर-परिवार में सुख समृद्धि भर देती है।
मंदिर समिति के श्री साहू ने बताया कि समिति से जुड़े धर्म प्रेमी लोगों द्वारा आगामी दिनों श्रीमद भागवत कथा आयोजित के भव्य यज्ञ रचने जा रहे है। इसकी भी भव्य तैयारिया की जा रही है।
भक्तों की मनोकामना पूर्ति
बताया जाता है तो स्वयं-भू लिंगेश्वर में भगवान महाकाल रूद्र अवतार शिव जी का दर्शन करने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है। यहां धाम में धार्मिक पर्व, व्रत ,त्यौहार आदि के दौरान शिव भक्तों का आगमन बना रहता है। इस बार दो महिने का सावन मास होने की वजह से स्वयं-भू लिंगेश्वर धाम में प्रति सोमवार भक्तों की भीड़ रही, जिससे पूरा वातावरण शिव मय बना रहा। भक्त जन
भगवान स्वयूं-भू लिंगेश्वर में प्राय: लिपटे रहने वाले नांग देवता का दर्शन कर अभिभूत हुए है। खेतों के बीच हरियाली भरे वातावरण में विराजे स्वयं-भू लिंगेश्वर महराज का दर्शन अपने आप में आह्लादकारी व मन को आनंद से भर देने वाला सिद्ध होता है। चहुंओर प्राकृतिक सुषमा से भरे दृश्य लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। स्वयं भू लिंगेश्वर धाम के पुजारी विरेन्द्र महराज ने बताया कि 14 अक्टूबर को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या की समाप्ति के साथ साथ ही 15 अक्टूबर से क्वांर नवरात्र प्रारंभ हो रहा है।इस दिन से स्वयं भू लिंगेश्वर धाम में मातारानी की भक्ति परवान चढऩे लगेगी। ढोलक-मांदर की थाप व मंजीरे की झनकार के बीच मां अम्बे-जगदम्बे की सेवा जस गान की सुमधुर लहरें चारो ओर गुंजायमान बनी रहेगी।