राजनांदगांव/रायपुर:- दो सालो के बोनस के लिए प्रदेश किसान संघ के प्रतिनिधि मंडल ने गुरूवार को मुख्यमंत्री से राजधानी में मुलाकात की। उससे पहले मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन जिला कार्यालय राजनांदगांव में सौपा गया तत्पश्चात रायपुर के लिए कूच किया गया।
उल्लेखनीय है कि, दो सालों के बोनस के लिए किसान संघ लगातार आवाज उठा रहा है। और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौपे जा रहे है। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होते देख उपमुख्यमंत्री से सम्पर्क करने की रणनीति बनाई गई। ज्ञात हो वर्तमान में उपमुख्यमंत्री टी.एस.सिंहदेव ही जन-घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष थे एवं किसान संगठनों से व्यापक विमर्श के बाद किसानों से जुड़े वादों को तय किया था।
उपमुख्यमंत्री निवास के कंाफ्रेन्स हॉल में लगभग सवा घण्टे चली चर्चा की शुरवात में प्रदेश किसान संघ के संयोजक सुदेश टीकम ने कहा कि चुनाव पूर्व आपके अगुवाई में बने जन-घोषणा पत्र मेें किसानों से किये गये प्रमुख वादो में रमन सरकार के कार्यकाल के बकाया दो सालों के धान बोनस का भुगतान करना शामिल था। किसान बड़े धैर्य से चार सालों से अधिक समय से वादा पूरा होने का इंतजार कर रहे है। आपकी सरकार का कार्यकाल पूरा होने को है। विधानसभा चुनाव निकट है। चुनावी आचार संहिता कभी भी लागू हो सकती है। ऐसे में किसान काफी चिंतित है। जैसे ही आचार संहिता लगेगी भुगतान नहीं होने की स्थिति में किसानो के लगभग सवा तीन हजार करोड़ रू डूूब जाऐंगे।मुख्यमंत्री जी से कई बार ज्ञापन के माध्यम से निवेदन किया जा चुका है लेकिन कोई कार्यवाही नही हुई है अब आप के पास इस उम्मीद से आए हैं कि आप ही कुछ पहल करेंगे। अपनी सरकार और पार्टी की विश्वसनीयता का भी ख्याल रखते हुए सार्थक पहल करेंगे। किसानों को नाराज और आंदोलित होने से रोक ने में आवश्यक पहल अवश्य करेंगें।
जवाब में श्री सिंहदेव ने कहा कि, इस सरकार में किसानों को काफी कुछ मिला है। देश में सर्वाधिक धान की कीमत हम दे रहे है। जहाँ तक जन-घोषणा पत्र का सवाल है अगुवाई हम जरूर कर रहे थे पर वो पार्टी का जन-घोषणा पत्र था जिसे सबने मिलकर पास किया था। जन- घोषणा पत्र के दो वादें जो सरकार पूरा नहीं कर पाई है। एक शराब बंदी और दूसरा दो सालों के बोनस का अपनी व्यक्तिगत राय बताते हुए उन्होने कहा कि, पिछली सरकार की घोषणा को पूरा करने का वादा नहीं करना चाहिए फिर भी यदि किया है तो उसे पूरा करना चाहिए। सरकार की माली हालत का ज्रिक करते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि सरकार १५ दिनों में ऐसा कुछ कर पायेगी। शुरू से बोनस को लेकर किश्तो में भुगतान किये जाने की मेरी राय रही थी। जो कि स्वीकार नहीं हुई । अब एक साथ बहुत मुश्किल है पर मै अपनी ओर से पूरा प्रयास करूगा मेरे पास दो मौके है। २६ एवं २७ को केबिनेट एवं पार्टी की समीक्षा बैठक होने वाली है। इसमें मैं आप लोगो की ओर से ये बात जरूर उठाऊगा बाकी आप सभी मेरी सीमा एवं अधिकार क्षेत्र से भली-भाति परिचित है।
अन्य मुद्दों पर भी हुई चर्चा :- हालांकि सरकार की चला-चली की बेला है पर भी ध्यानकर्षण हेतु प्रतिनिधि मंडल ने अन्य प्रमुख मुद्दों पर भी चर्चा की। मोतीलाल सिन्हा ने जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के कनवर्सन-ऋण माफ नहीं होने का मामला उठाते हुए कहा कि, ऋण माफी में राजनांदगांव के साथ भेद-भाव हुआ इस पर उपमुख्यमंत्री ने प्रदेश भर में कही भी कनवर्सन ऋण माफी नहीं होने की बाद की एवं चुनाव प्रचार के दौरान हमने कभी भी नही कहा था कि, कनवर्सन ऋण माफ करेंगें। रमाकांत बंजारे ने मेढ़ा ब्रांच में किसानों के खातों से फर्जी ऋण का मामला उठाया जिसका सज्ञान लेने का आश्वासन दिया गया।
गेंद लाल साहू ने कहा कि, गौठानों में सब्जी लगा रहे है। और जानवर सडक़ पर बैठे है,फसल चर रहे है। फसल रक्षकों की तैनाती की जानी चाहिए। किसानों का दान किया हुआ पैरा गौठानों में सड़ गया कोई रख-रखाव नहीं किया गया।
वन निर्भर किसानों पर भी हुई चर्चा:- सामुदायिक वन अधिकार देने की बात जन-घोषणा पत्र में कही गई थी,लेकिन नाम मात्र गांवो को ही ये मिल पाया इस पर उन्होने लगभग ३ हजार सामुदायिक वन अधिकार पत्र देने की बात बताई एवं अधिकार पत्र में कमी के चलते ग्राम वासियों को वास्तविक अधिकार नहीं मिल पाने, संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से वन विभाग का नियंत्रण बना होने का उल्लेख चर्चा के दौरान उन्होने किया।
पेशा नियम कानून की भावना के विपरीत बनाने की शिकायत उनसे की गई तो उन्होने अपने पंचायत मंत्री पद से इस्तीफा विवरण के साथ देने का ज्रिक करते हुए कहा कि, भूमि हस्तातंरण के मामले में गांव की सहमति के जगह चर्चा या परामर्श करना सबसे बड़ी कमी मैं भी मानता हूँ। फिर भी इतने सालो बाद कम से कम नियम तो बने है जो आगे बदले जा सकते हैं।
बस्तर में दमन का सवाल उठाते हुए सुदेश टीकम ने पूछा कि ताड़मेटला में कथित फर्जी मुठभेड़ में हमे क्या मांग करना चाहिए दण्डाधिकारी जांच की मांग करें न्यायिक जांच की मांग करें या क्या करें?क्योंकि न्यायिक जाँच की रिपोर्ट आ जाने के बावजूद भी कोई कार्यवाही नही की जाती एडसमेटा,सारकेगुड़ा प्रकरण में क्या कार्यवाही हुई।इस पर भी श्री सिंहदेव ने कहा कि मै सीधे इन मामलों से नही जुड़ा रहा हूँ इसलिए तत्काल इस पर विस्तृत बात नही कह पाऊंगा। पर पहले से ङ्क्षहसा काफी कम हुई हैं। स्थिति पहले से भी ज्यादा विस्फोटक न हो जाए शायद इसलिए कार्यवाही में विलंब हो रहा है और शायद रिपोर्टों मेें भी स्पष्टता की कमी है। उपमुख्यमंत्री से जब बस्तर ही नही आम जन मानस में भी शांति बहाली के नाम पर न्याय का गला घोटने का संदशे जाने की बात कही गई जिस पर उन्होने कहा ऐसा कुछ नहीं किया जा रहा है,ना ऐसा संदेश जा रहा है। बस्तर के लोग अब शांति चाहते है।
सरकार बनने के बाद किसान आंदोलन आदिवासी आंदोलन एवं जन संगठनों से संवाद नहीं किये जाने कि शिकायत भी की गई।
चर्चा के बाद प्रतिनिधि मंडल ने बोनस दिलाने ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधि मंडल में सुदेश टीकम,मोतीलाल सिन्हा ,रमाकान्त बंजारे, गेंदलाल साहू, लखन साहू, रूप सिंग वर्मा, विनेक मंडावी, हरिशचंद साहू, भरत वर्मा, किसुन साहू, विष्णु राम, भागवत, देवलाल साहू, मोरध्वज सिन्हा, आत्माराम, सोमनाथ निषाद, दुखित सिन्हा, तीजूराम, कीर्तन, पूनाराम, गोपी,प्रताप मंडावी, मलेश, नेतराम साहू, आदि शामिल थे।