महिला सशक्तिकरण संघ भारत इकाई
राजनांदगांव छ.ग. द्वारा अनागारिक धम्मपाल जयंती के उपलक्ष्य में गरिमामय समारोह पद्मश्री गोविंदराम निर्मलकर आडिटोरियम राजनांदगांव छ.ग. में माननीय एम.डी. कावरे संभागायुक्त दुर्ग संभाग के मुख्य आतिथ्य, डॉ. भदन्त चंद्रकीर्ति, विभागाध्यक्ष पाली प्राकृत भाषा, आम्बेडकर थाट, सुभारती कालेज मेरठ की अध्यक्षता, माननीय श्रीमती हेमा देशमुख महापौर राजनांदगांव तथा संगीता राज गजभिये सदस्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग छ.ग. शासन, डॉ मंजू लाल लंदन, श्री कन्हैया लाल खोब्रागढ़े, श्री बी.पी. मेश्राम, श्री गनवीर वानखेड़े, श्री सरोज राजवर्धन, डॉ. के.एल. टांडेकर, श्री सुशील गजभिये, आयुष्मति विद्या जनरोडे, श्री कांति कुमार फुले, श्री एस.आर. कांडे, श्री आशीष चौहान, श्री अरूण मेश्राम, श्रीमती प्रज्ञा बौद्ध, श्रीमती करूणा भुजाड़े, श्रीमती रजनी नगरारे के विशिष्ट आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। डॉ भदन्त चद्रकीर्ति एवं समस्त अतिथियों द्वारा भारत की धरती में जन्में महापुरूषों को माल्यार्पण कर दीप प्रज्जवलन, त्रिशरण पंचशील से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में राजनांदगांव जिलाध्यक्ष एम.एस.एस. श्रीमती बुद्धिमित्रा वासनिक संविधान की प्रस्तावना का वाचन पश्चात राज्यगीत एवं स्वागतगीत की प्रस्तुती श्रीमती उषा वांदिले, सुनीता इलमकर एवं कुमुदिनी रामटेके द्वारा की गई। प्रदेश अध्यक्ष एम.एस.एस. श्रीमती प्रज्ञा बौद्ध जी ने बीजवक्तव्य दिया। इस अवसर पर भदंत डॉ. चंद्रकीर्ति जी की पुस्तक ‘परीतपाठ और संस्कार विधि’ का विमोचन हुआ। कार्यक्रम का संचालन रविता लकड़ा एवं बुद्धिमित्रा वासनिक ने किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. कावरे जी ने कहा शिक्षा के प्रचार- प्रसार के साथ शासन की योजनाओं का समाज के प्रत्येक वर्ग को लाभ लेना चाहिए। इस क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण संघ द्वारा अच्छा प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा अनागारिक धम्मपाल हमारे प्रेरणा स्त्रोत हैं। वे समाज एवं बौद्ध धर्म की प्रचार-प्रसार के लिए सदैव तत्पर रहे। नगर की प्रथम नागरिक महापौर हेमा देशमुख ने एम.एस.एस. के कार्यो की सराहना करते हुए कहा कि मंच में संचालन महिलाएं कर रही है और आयोजन भी महिलाओं के द्वारा किया गया है। ये राजनांदगांव के लिए एक अच्छी पहल है। डॉ. भीमराव आंबेडकर ऐसे विद्वान थे जिनके कारण मैं आज यहां पर खड़ी हूँ वे महान समाज सुधारक थे।
कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. भदंत चंद्रकीर्ति ने महिला सशक्तिकरण संघ के कार्यो एवं उद्देश्य को बताते हुए कहा कि इसके विस्तार के लिए प्रयास की आवश्यकता है। यह संघ महिलाओं की सामाजिक राजनीतिक, धार्मिक, शैक्षणिक एवं न्यायिक अधिकार के प्रति महिलाओं को जागृत करता है इसीलिए भारत के कोने-कोने में इसकी शाखाएं है। डॉ. के.एल. टांडेकर ने कहा कि महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए यह संघ कार्यरत है। इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।
वित्त अधिकारी डॉ. सुशील गजभिये ने सामाजिक, आर्थिक सुधार पर बल देते हुए कहा कि अपने धार्मिक स्थानो को शिक्षा, संस्था या प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में उपयोग करना चाहिए। लोग अपने नये, पुराने कम्प्यूटर जैसे आज की आवश्यकतानुरूप चीजे दान कर सकते हैं जिससे समाज के बच्चो का स्कील डेव्हलपमेंट हो सके। मान. कन्हैयालाल खोब्रागढ़े जी ने अनागारिक धम्मपाल जी की जीवनी बताते हुए कहा कि कैसे धम्म से प्रभावित होकर डॉन डेविड से अनागरिक धम्मपाल बने और सर्वजानकि प्रचार करने के लिए गाँव-गाँव घुमकर विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करते थे, प्रथम महायुद्ध के समय कलकत्ता में ५ वर्षो के लिए नजरबंद कर दिये थे । १८९३ में विश्व धर्म सम्मेलन में बौद्ध धर्म का प्रतिनित्वि किया और अपने भषण के समय में से समय देकर स्वामी विवेकानंद को बोलने का अवसर दिया ।
संगीता राज गजभिये जी ने अनागरिक धम्मपाल जयंती की बधाई दी, एवं जान डेविड से अनागारिक धम्मपाल कैसे बने धम्म से प्रभावित होकर गांव-गांव में जाकर बौद्ध धम्म की चर्चा और प्रचार प्रसार किया । उन्होंने बस को ही अपना घर बना लिया और धम्म का प्रचार प्रसार किया मंजुलाल जी लंदन से हमारे बीच पधारी थी उन्होने कहा मैं छ.ग. में आकर बहुत खुश हूँ । एस.आर.कानडे जी ने भन्ते चन्द्रकीर्ति जी का जीवन परिचय एवं वर्तमान कार्यो की विवेचना करते हुए महिला सशक्तिकरण संघ की सराहना की व पेरियार ई.व्ही. रामास्वामी के संघषों को बताते हुए जयंती की बधाई दी। इसी प्रकार सभी अतिथियों ने अपना व्यक्तव्य दिया। नागपुर से श्राममेरी १० बच्चें भन्ते जी के साथ कार्यक्रम में सम्मलित हुए । भदन्त डॉ चन्दकीर्ति जी की पुस्तक परीत्तपाठ और संस्कार विधि का विमोचन किया गया । अतिथियों को मेमोन्टों, एवं सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया ।
इस गरिमामय राष्ट्रीय आयोजन में सामाजिक कार्य शिक्षा के क्षेत्र एवं विभिन्न क्षेत्रो में उत्कृष्ट कार्य करने वालो को ग्लोबल अनागारिक धम्मपाल अवार्ड प्रदान कर सम्मानित किया गया। इनमें श्री कन्हैयालाल खोब्रागढ़े, श्री केशव रामटेके , आयु. प्रज्ञा बौद्ध श्री बी.पी. मेश्राम, श्री बीआर बोईर, डॉ. के एल तांडेकर, आयु. जानकी रंगारी, श्री सेवक मेश्राम, डॉ. विजय उके, श्री मनिकचंद घोड़ेसवार, श्री अमरसिंह वासनिक, श्रीमति बुन्दू मेश्रमा, आयु. देवीनन्दा बौद्ध, श्री दीपक कोटांगले, श्री घनश्याम वाल्मिक, श्री हरविन्दर कुमार आजाद, आयु. पदमा मेश्राम, श्री सुशील गजभियें, श्री प्रकाश सिमनकर, सुश्री पुष्पा सवारकर, आयु. वंदना मेश्राम, श्री माताभीख अनोखे, श्री व्ही.एस.शेंडे, आयु. रत्ना मेश्राम, डॉ. बी.नन्दा जागृत, डॉ नागरत्ना गणवीर, डॉ. महेन्द्र गायकवाड़, श्री मुकेश बाम्बोड़े, श्री गणवीर वानखेड़े, श्री पुरूषोत्तम सहारे, डॉ.मालती साखरे, डॉ. सुजाता गौरखेड़े, डॉ. चन्द्रशेखर पाटिल, डॉ. सिद्धार्थ वाणी, आयु. ज्योति कानेकर, आयु. प्रमिला थालकर, डॉ. सीमा सोनकर, आयु. मीरा सोनकर, श्री अजय गौतम, श्री धर्मेश प्रसेनजीत, श्री अरूण मेश्राम, डॉ. सुशांत चिमनकर, ये सभी ग्लोबल अनागारिक अवार्ड से सम्मानित हुए । बुद्धिमित्रा वासनिक के द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया।
कार्यक्रम में आयु. नंदा मेश्राम, माया वासनिक, हर्षिका गजभिये, लक्ष्मा गजभिये, सुनीता इलमकर, शिल्पा कोलाटकर, छाया उइके, सविता जामुलकर, रविता लकड़ा, अंजू वासनिक, मीना खोब्रागढ़े, सोनम मेश्राम, वंदिता गजभिये, माया खोब्रागढ़े, सरिता वासनिक, सुनीता सिंह, सीमा बोरकर, डॉ. सुजाता वासनिक, डॉ. अर्चना रंगारी, पूर्णिमा नागदेवे, मधुलता रामटेके, नलिनी मेश्राम, वंदना बोरकर, संगीता बोरकर, शारदा मेश्राम, मीना श्रीरंगे, मालती भौतमांगे, धर्मिका मेश्राम, लता रामटेके, लक्ष्मी गोंडाने आदि सम्मिलिए हुए।